टरनेट के माध्यम से होने वाली सभी कॉल्स पर लगेगा चार्ज, केंद्र सरकार जल्द ले सकती है फैसला

टरनेट के माध्यम से होने वाली सभी कॉल्स पर लगेगा चार्ज, केंद्र सरकार जल्द ले सकती है फैसला

केंद्र सरकार मोबाइल एप के जरिए इंटरनेट कॉल (वॉयस और वीडियो कॉल) को रेगुलेट करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए दूरसंचार विभाग ने दूरसंचार नियामक TRAI से सुझाव मांगे हैं। हालाँकि,ऐप के माध्यम से संदेशों को इससे बाहर रखा गया है,क्योंकि उन्हें पहले से ही विनियमित किया जा रहा है।

दूरसंचार विभाग ने इंटरनेट कॉल को विनियमित करने के लिए एक रूपरेखा तैयार करने के लिए TRAI से सलाह मांगी है। TRAI की सिफारिशें मिलने के बाद अंतिम नियम बनाने की योजना है। इसके तहत ऐप्स को कॉलिंग के लिए केंद्र सरकार से लाइसेंस लेना पड़ सकता है और सालाना लाइसेंस फीस भी देनी पड़ सकती है।

अगर ऐसा होता है,तो ग्राहकों को व्हाट्सएप,टेलीग्राम,सिग्नल,स्काइप,गूगल मीट,वाइबर और फेसटाइम जैसे ऐप से वॉयस और वीडियो कॉल करने के लिए भुगतान करना पड़ सकता है।

सरकार इस योजना को लागू कर रही है
ऐप्स के लिए सुरक्षा एजेंसियों को कॉल इंटरसेप्ट करने की सुविधा देना जरूरी होगा,यह नियम फिलहाल टेलीकॉम कंपनियों पर लागू है।

कॉलिंग की सुविधा के लिए इन ऐप्स को सरकार को सालाना लाइसेंस फीस देनी होगी।

दूरसंचार विभाग द्वारा गठित एक पैनल ने साल 2015 में ही ऐप के जरिए की जाने वाली इंटरनेट कॉल्स को रेगुलेट करने का सुझाव दिया था,अब सरकार इसे लागू करने की तैयारी कर रही है।

ओवर-द-टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म को भी विनियमित करने का सुझाव ताकि दूरसंचार कंपनियों को समान अवसर मिले और कोई भेदभाव न हो।भारत में अभी 16 से अधिक वॉयस और वीडियो कॉलिंग ऐप्स उपलब्ध हैं।

लाइसेंसिंग ढांचे के तहतहोगाइसका असर
अगर ऐप्स को लाइसेंसिंग फ्रेमवर्क के तहत लाया जाता है तो इन ऐप्स को सुरक्षा एजेंसियों को कॉल इंटरसेप्ट करने की सुविधा देनी होगी। अभी तक सुरक्षा एजेंसियों के पास ऐप के जरिए की गई कॉल को इंटरसेप्ट करने की सुविधा नहीं है,क्योंकि ज्यादातर कंपनियों के सर्वर देश से बाहर हैं।

टेलीकॉम कंपनियों ने की थी‘समान सुविधाओं के लिए समान नियम‘की मांग
टेलीकॉम कंपनियों ने सरकार से मांग की थी कि‘समान सुविधाओं के लिए समान नियम‘तय किए जाएं। इसका मतलब है कि इंटरनेट आधारित कॉल और मैसेज भी इसके दायरे में आने चाहिए। उनसे टेलीकॉम कंपनियों की तरह लाइसेंस फीस ली जाए।

कानूनी अवरोधन और सेवाओं में सुधार के नियमों का पालन करने की जिम्मेदारी तय की जाए। टेलीकॉम कंपनियों ने सरकार से पूछा था कि जब ऐप्स को कॉलिंग के लिए लाइसेंस शुल्क नहीं देना पड़ता है और कोई नियम लागू नहीं होता है,तो टेलीकॉम कंपनियों के साथ यह सौतेला व्यवहार क्यों?

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