योग का शोधक कौन है ? जानिए इस के बारे में…

योग का शोधक कौन है ? जानिए इस के बारे में…

आज हम आपको बताने वाले है योग के जन्मदाता कौन है |कैसे उन्होंने योग की शुरुवात की और अन्य बाते |हमारा भारत बहुत सारी संस्कृतियों और सभ्यता को अपने में समेटे हुए है |लेकिन हिन्दू धर्मं की अपनी कुछ खासियत है |जो न केवल भारत बल्कि सका ज्ञान पूरे संसार को लाभ देने वाला है |योग हमारे यहाँ सदियों से होता आ रहा है |जो आज पूरी दुनिया उसका महत्व जान चुके है |आपको बता दे प्राचीन समय में ऋषि पतंजलि ने अष्टांग योग की शुरुआत की थी |आइये जाने विस्तार में |

आपको बता दे की योग के जनक को दो तरीको से देखा जा सकता है |एक हमारे हिन्दू धर्मं की दृष्टि से और दूसरा इतिहास की दृष्टि से आइये जाने इनके बारे में |

1.हिन्दू धर्मं के अनुसार आदियोगी भगवान शिव: सबसे पहले योगी
आपको बता दे धर्म के अनुसार संस्कृति में भगवान शिव को भगवान के रूप में नहीं बल्कि आदियोगी (प्रथम योगी) के रूप में माना जाता है | क्योकि भगवान शिव ही योग के जनक थे। कहते है कि लगभग 15000 साल पहले शिव पूर्ण आत्मज्ञान के चरण तक पहुंच गए थे।(यानी अपने दिमाग को 100 प्रतिशत इस्तेमाल करना)। भगवान शिव हिमालय चले गए और इसकी वजह से उत्साह से नाचने लगे। अब उन्होंने लगातार नृत्य किया जिससे कि वह बहुत तेज या स्थिर हो गए। लोग इसे देखकर हैरान थे और इस खुशी का रहस्य सीखना चाहते थे।

लोग इकट्ठा होने लगे, लेकिन शिव ने उनकी परवाह नहीं की। कई लोगों ने इंतजार किया और सात लोगों को छोड़कर बाद में सभी चले गए। वे बाद में सप्तऋषि बने थे(सात ऋषि)। इन सप्तऋषियों ने शिव से उन्हें उनके ज्ञान के बारे में सिखाने के लिए कहा और किस तरह एक आनंददायक राज्य को प्राप्त कर सकते हैं | इस बारे में जानने की इच्छा प्रकट की। लेकिन शिव ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। वह बाहरी दुनिया से पूरी तरह अनजान थे।

2. जानिए योग का इतिहास और कैसे हुई इसकी शुरुआत
योग का इतिहास लगभर 5 हजार साल पुराना है | लेकिन भारत में इसकी शुरुआत का श्रेय महर्षि पतंजलि को दिया जाता है।क्योकि 5 हजार साल पहले ऋषियों ने मनुष्य के शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास के योग को महत्वपूर्ण बताया था। ऐसा कहा जाता था | कि ईश्वर और मनुष्य के बीच संबंध बनाने के लिए योग एक मुख्य साधन है। वहीं योग करीब 2700 बी.सी साल पहले सिंधु घाटी सभ्यता की अमर देन है। सिंधु घाटी सभ्यता में योग साधना और उसकी मौजूदगी को दर्शाया गया था | जिससे पता चलता है कि योग प्रचीन भारत में मौजूदगी थी।

उनकी सभ्यता में लैंगिक चिन्ह और देवी माता के मूर्ति की बनावट योग तंत्र को दर्शाता है। यही नहीं वैदिक, उपनिषद, बौद्ध, जैन के रीति-रिवाजों और महाभारत-रामायण काव्यों में भी योग के बारे में जानकारी मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि सूर्य नमस्कार भी योग साधना से प्रभावित है।

कौन थे ऋषि पतंजलि
ऋषि पतंजलि का जन्म (195-142 ई.पू ) के शासनकाल में थे |आज अगर हम योग के बारे में जो भी ज्ञान है उसका पूरा श्रेय ऋषि पतंजलि को ही जाता है |इन्होने योग को अंधविश्वास से निकाल कर ज्ञान के प्रकाश की और ले गए |और लोगो को इसके महत्त्व के बारे में बताया | आपको बता दे की योग के 195 स्ट्रा थे जिन्हें समझना बहुत ही कठिन था |उन्होंने अपने ज्ञान से सभी सूत्रों को इकट्ठा कर अष्टांग योग की रचना की और लोगो को इसे समझने के लिए बहुत ही सरल बना दिया |

bollywoodstory

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *